कविता

यादों की बग़ावती पोटली

बहुत संज़ीदगी से
मैं चल रहा था
जीवन की उबड़ – खाबड़
पगडंडी पर
कुछ – कुछ अपने को भी
खल रहा था
यादों की पोटली
भारी हो गई थी
सम्हालना मुश्किल हो गया था
पूरी ताकत से दबाकर
तह लगाया था
किन्तु आज यादों को
बगावत करते हुए पाया था।

रोटी का टुकड़ा
लड़ रहा था नमक के लिए
जूता खोज रहा था रस्सी
पाँव में टिकने के लिए
पाकिट से झाँकता हुआ पँच टकिया
कुर्ते की बगावत का गवाह था
कमर रोकने में फेल थी
बिखरते पाजामें को
जूट के बस्ते से झाँकती स्लेट
जंघे पर अपनी हाज़िरी दर्ज कराती
खिचड़ी मिलने में
पल भर की देरी
सदी बनकर आती
किताबों में रखे मोरपंख
गुल्लक में रखे सीपी और लघु शंख
खाली हाथ के कारण
मेले में अकेले रहने की यादें
चिढ़ा रही हैं।

आज
मखमली सोफे पर
स्वादिष्ट व्यंजन खाकर
धनपशु बनने के बाद भी
नींद उचट जा रही है
शायद गलत रास्ते से
सही मुकाम पाने की
मृगतृष्णा
मेरी औकात से
मेरा परिचय करा रही है।

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन