मानव प्रजाति को बारबार चेतावनी देती प्रकृति
मनुष्य प्रजाति के प्रकृति के असीमित दोहन के फलस्वरूप ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और प्रकृति द्वारा किए जाने वाले असामान्य व्यवहार से अब पूरी दुनिया आतंकित होने लगी है । समूचे विश्व में कहीं अतिवृष्टि ,कहीं शून्य से नीचे कड़ाके की ठंड ,कहीं आग बरसाती गर्मी , कहीं भयंकरतम् लगातार मूसलाधार बारिश से जलप्रलय से तबाही और कहीं इतना जबर्दस्त तूफान कि गाँव व बस्ती का नामोनिशाँन मिटा देने को आतुर प्रकृति का रौद्र रूप ! , ये ‘सभी कुछ’ मनुष्य प्रजाति को प्रकृति अपने हिसाब से ‘संकेत’ दे रही है कि अब भी सुधर जाओ । मनुष्य ने माँ रूपा पृथ्वी ,प्रकृति और पर्यावरण का इतना दोहन और गंभीर नुकसान किया है , कि लाखों वर्षों से पर्यावरण संतुलन ही असंतुलित होकर रह गया है , पहाड़ ,जंगल ,नदियाँ ,समुद्र , भूगर्भ ,वायुमंडल ,अंतरिक्ष ,पूरा जैव व वानस्पतिक मण्डल आदि सब कुछ तो मानव ने तहस-नहस करके रख दिया है ।
समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार जहाँ अमेरिकी शहर शिकागो में हर साल प्रायः जनवरी में -10 या -12 डिग्री सेटीग्रेड तापमान रहता है ,इस वर्ष सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए वहाँ के रात का तापमान -32 डिग्री सेंटीग्रेड रिकॉर्ड किया गया , वहाँ के मौसम विभाग के अनुसार वहाँ का तापमान लुढ़ककर -70 डिग्रीसेंटीग्रेड भी जा सकता है । वहाँ की रेल,बस ,टैक्सी ,ट्राम ,हवाई यात्राएँ बुरी तरह बाधित हो गईं हैं , विश्व के महाबली देश का जीवन रूक सा गया है । वहाँ सब कुछ जम गया है । आर्कटिक जोन से आ रही बर्फीली हवाओं और बर्फबारी ने अमेरिकी शहरों को एंटार्कटिका से भी ठंडा कर दिया है । ये सभी मौसम की विचित्रताएं अकारण नहीं हैं , मौसम चक्र को मनुष्य ने अपने हवश , दोहन और प्रदूषण से एकदम असंतुलित करके रख दिया है ,उसी की प्रतिक्रिया में ये प्रकृति का क्रुद्ध होकर , उसके ताण्डव रूप के , कुछ नमूने हैं , मनुष्य प्रजाति को प्रकृति के इन गहरे संकेतों को समझकर तदनुरूप अपने व्यवहार में सुधार करना ही होगा ,अन्यथा प्रकृति के विकराल रौद्र रूप के सामने मनुष्य जैसे अदने प्राणी का कोई औकात नहीं है !
-निर्मल कुमार शर्मा ,गाजियाबाद ,1-2-19