गीत
तेरे चेहरे की रंगत से,जीवन मेरा चंदन है !
घर-आंगन में हुआ उजाला,प्रिय तेरा अभिनंदन है !!
कण-कण में खुशबू का डेरा,
अपनेपन के रेले हैं
भाव लग रहे मधुर सुहाने,
अंतर्मन अलबेले हैं
ढाई आखर नेह भरे हैं,अनुबंधों का वंदन है !
घर-आंगन में हुआ उजाला,प्रिय तेरा अभिनंदन है !!
आशाओं ने नग़मे गाये,
प्रीति-प्यार हरसाते हैं
तू है तो ऐ मेरे हमदम,
सारे लम्हे भाते हैं
खुशगवार यह जग लगता है,ख़त्म हुआ सब क्रंदन है !
घर-आंगन में हुआ उजाला,प्रिय तेरा अभिनंदन है !!
है संवेदित मानस अब तो,
कोमलता है बिखर रही
मदमाती है काया भी तो,
चाहत देखो निखर रही !!
रसभीनी हो गयीं दिशाएं,पवन लिये नव वादन है !
घर-आंगन में हुआ उजाला,प्रिय तेरा अभिनंदन है !!
—प्रो.शरद नारायण खरे