कविता

कविता – बसन्त

मै बंसत की बेला हूं,
पतझड़ सा कठोर बहती पवन हूं
पलको पर बिखरा
सपनो वाला मन हूं,
दो आंसू वाले पीली
सरसो का खेत हूं
हरे भरे उपवन में
जलता रेत हूं,
गरीब कहानी हूं
बिना जुबानी हूं
बहकते मन हूं
उजडा़ चमन हूं
कटे वृक्ष का तन हूं
सुखा झील हूं
विलुप्त चील हूं।

अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]