कविता

पिता का वादा

एक विशाल पेड़ होते है पिता,
जिसकी छाँव में सुकून मिलता है,
हमें चलना सीखते है पिता,
हमसे वादा करते है पिता,
वो कभी हमें गलत रस्ते पर चलने नहीं देंगे।
वो हमेशा हमारा हाथ थाम लेंगे,
हमारी हर गलती को माफ़ करेंगे।
अपना हर वादा निभाते है पिता,
पर जब कुछ गलत करते है पिता,
अपना वादा भूल जाते है पिता,
तो हम उन्हें सही रस्ते पर लाते है,
उनको सही गलत का फर्क बताते है।
जब शराब पीकर आते है पिता,
और घर में सबको मारते है,
सब कुछ भूल जाते है पिता,
उनके बच्चे उनको अपना वादा याद दिलाते है।
फिर दुखी हो जाते है पिता,
अपने बच्चो से माफ़ी मांगते है।
और देते है सारी खुशियाँ पिता,
न हो पिता तो जीवन है सूना,
अपने हर वादे को निभाते है पिता।।
गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384