दर्द का रिश्ता
चंद पल जो तुमको जिंदगी दे जाएं ,
कुछ हसरतें जो बचपन में ले जाएं ।
भूल जाएं अतीत की दुख भरी यादें ,
कुछ सुकून के लम्हे वापिस आ जाएं ।
कब मांगे थे बेशकीमती जेवर ,
कब मांगी थी दौलत की पेटियां ।
चलो जिंदगी को एक सबक दे जाएं ,
महक इरादों की पुख्ता कर जाएं ।
हीर्रे जवाहरात तो सिर्फ एक पत्थर हैं ,
असली दौलत तो सिर्फ रिश्ते हैं ।
चलो जंजीरों को रुसबा कर जाएं ,
जिंदगी को किसी के नाम साझा कर जाएं।
तन्हाई यादें दर्द से रिश्ता क्यों उम्र भर का ,
महफिलों में तुरंग का ये शोर है किसका ।
सहमी जिंदगी को नए फरमान दे जाएं ,
चलो दुनिया को एक नया पैगाम दे जाएं ।
— वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़