संत वैलेंटाइन को श्रद्धांजलि
भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं।किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। इसकी उदारता तथा समन्यवादी गुणों ने अन्य संस्कृतियों को समाहित तो किया है। किन्तु अपने अस्तित्व को नष्ट नहीं होने दिया। अनेकता में एकता का देश है भारत।भारत में विभिन्न त्यौहार समय समय पर मनाये जाने हैं।
भारत सभी के गुणों को ग्रहण करने वाला देश है। यही कारण है कि संत वैलेंटाइन को श्रद्धांजलि स्वरूप 14 फरवरी के इस दिवस को भी स्वीकार किया गया है।
वैलेंटाइन डे हर साल 14 फ़रवरी को मनाया जाता है। दुनिया के कई हिस्सों में इसे बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सार्वजनिक छुट्टी तो नहीं होती है लेकिन लोग अपने अपने तरीके से इसे मनाते हैं। यह त्यौहार प्यार का त्यौहार है। संत वैलेंटाइन की याद में इसे मनाया जाता हैं कहते हैं इस दिन हम जिससे भी आत्मिक प्यार करते हैं चाहे वह हमारे माता-पिता, दादा-दादी, बच्चे व अन्य पारिवारिक लोग उन सबको उपहार देकर अपने प्रेम व स्नेह को प्रकट किया जाता है। पति पत्नी भी एक दूसरे को उपहार देकर प्रेम प्रकट करते हैं। प्यार का ये दिन उन सभी के साथ मनाने का है जिनसे हम प्रेम करते हैं। चाहें वो मम्मी पापा भाई बहन दोस्त ही क्यों ना हो। वैसे प्यार को सेलिब्रेट करने के लिए किसी खास मौके की जरुरत नहीं पढ़ती है। हम जब चाहें इसे मना सकते है लेकिन यह खास दिन उन सभी लोगों के लिए है। जो अपनी भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में अपने प्रियजनों को बताना भूल जाते हैं कि वो उनसे कितना प्यार करते हैं।
वैसे इसे मनाने की बहुत सी वजह मानी जाती है लेकिन किसी के भी पुख्ता सबूत नहीं मिलते हैं। एक वजह ये मानी जाती है कि 12वीं शताब्दी के आसपास रोम में एक शासक था। जो अपने किसी भी सैनिक को शादी नहीं करने देता था। उसका मानना था कि जो इन्सान शादी कर लेते हैं। वो अपने परिवार व बच्चों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे फिर उसकी सेना में शामिल नहीं होते हैं। इस प्रथा का विरोध संत वैलेंटाइन ने किया था। उन्होंने एक जोड़े की शादी करा दी थी। जिसके बाद राजा ने 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन को सूली पर चढ़ाया था। जब वैलेंटाइन जेल में था। तब सब लोग उसे प्यार स्वरुप फूल व गिफ्ट दिया करते थे। संत वैलेंटाइन ने मरने से पहले राजा के मुख्य जेलर को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें मरने के बाद अपनी आँखे उस राजा की अंधी बेटी को देने की बात कही गई थी। इसके बाद से वैलेंटाइन की याद में यह प्यार का दिन मनाया जाने लगा।
निशा नंदिनी भारतीय
तिनसुकिया, असम
वैलेंटाइन कोई संत नहीं था। अनुशासनहीन और कायर सैनिक था। एक लड़की के चक्कर में कायरों की तरह भाग गया था। उसे श्रद्धांजलि की जगह तिलांजलि देनी चाहिए।