अब केवल निंदा नहीं
निंदा के बदले हिन्द में ना जिंदा आतंकी दिखे,
करे समर्थन जो इनका ना उनके धड़ पर शीश दिखे,
पत्थरबाजों की टोली मरकर राख लगे बनने,
चाह रहा है हिंदुस्तान नहीं सुहागन चीख दिखे।
रक्तिम आँखों से बोलो अंगार यहाँ कब निकलेंगे,
मुग़ल वंश के औलादों के प्राण यहाँ कब निकलेंगे,
वहसी भेड़िये रूप बदलकर, यहाँ छलावा खूब करें,
छली उदंड नेताओं के अब मान यहाँ कब निकालेंगे।।
हर हर महादेव हुँकार करो, पाक समर्पित कम्पित हों,
निभृत पाक अब हो जायेगा, सभी निशाचर शंकित हों।
अब रहे सलामत हिन्द मुंडासा, केहरि बनकर रोर करो
पवि वर्षण सा गिरो पाक पर, खण्ड खण्ड में खण्डित हो।।
बहुत हो गया ब्रम्ह बीज अब, चलो परसु रक्तिम कर लो।
वसुधा के निशचर रक्त से, श्वेत वस्त्र रक्तिम कर लो।।
बहुत हो गया शांति-वान्ति, अब ना शिष्ट कबूतरबाजी हो।
चढ़ अराती के वक्षस्थल पर, वसुंधरा रक्तिम कर लो।।
प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045