गज़ल
बेपनाह प्यार का मौसम चला गया
तेरे साथ इंतज़ार का मौसम चला गया
थाम लिया दामन-ए-मैकशी हमने
इश्क के खुमार का मौसम चला गया
ताल्लुकात तोड़ के चला गया तू जब
शहर से बहार का मौसम चला गया
कैसे करेंगे हम अब वो जुर्म-ए-खुशगवार
तवाफ-ए-दर-ओ-दीवार का मौसम चला गया
साए भी अपने करने लगे अब तो साजिशें
जाने क्यों एतबार का मौसम चला गया
— भरत मल्होत्रा