श्रद्धांजलि : नामवर एक यायावर विद्यापीठ
भगवान कीनाराम की जन्मस्थली
माँ जान्हवी की गोद
मना चहुँओर मोद
जीयनपुर, चन्दौली
जो था पहले बनारस
वैश्विक संस्कृति का समच्चय
अट्ठाइस जुलाई सन् छब्बीस
उदित हुआ देदीप्यमान दीप
नाम हुआ नामवर
फैला घर – आँगन प्रदीप्त।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में
अध्ययन और अध्यापन
मिला हजारी प्रसाद से
सत्य और सत्यापन
आलोचना की राह में
जमा पाँव
मार्क्सवाद को लाये
महानगर, गाँव – गिराँव
चकिया का सांसद
बनने से चूके
सागर, जोधपुर से होकर
जेएनयू दिल्ली पहुँचे।
सिर्फ लिखे ही नहीं
सुनाये और जीये भी
वामपंथ के सोमरस को
छककर पीये भी
साहित्य अकादमी से हुए सम्मानित
सेवानिवृत्ति के बाद भी
छोड़ न सके शिक्षण आवृत्ति
जनपथ से राजपथ तक
देहात से दिल्ली तक
एक कर दिए
जागकर जगाने में
नारायणी साहित्य अकादमी
बनाने में
हिंदी उर्दू संस्कृत में समाहस्त
आलोचना करने और सुनने में
सिद्ध – अभ्यस्त
यायावर विद्यापीठ के थे प्रधान
आ पहुँचा द्वार पर
चिरन्तन सत्य का अटल विधान
उन्नीस फरवरी,उन्नीस की
मध्य पूनम निशा
लेकर चली नामवर को
परलोक, परमधाम की दिशा
छोड़कर चले गए करके अनाथ
किन्तु दे गए
बौद्धिक चिंतन के कोटि हाथ।
— डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’