गोद
अभी-अभी पुलवामा के शहीद मेजर विभूति के पार्थिव शरीर पहुंचने का भावभीना समाचार पढ़ा. पिछले साल ही मेजर विभूति से शादी करने वाली निकिता के सामने मंगलवार को जब तिरंगे में लिपटा पति का पार्थिव शरीर आया तो उन्होंने माथे को चूमने के बाद ‘आई लव यू’ बोल उन्हें अंतिम विदाई दी. उनके साहस को नमन करते हुए मुझे शकुंतला की स्मृति हो आई.
”भरत की मां हूं मैं! भरत से ही भारत है. मैं शकुंतला हूं. अगर मैं ही मायूस रही तो मेरे भरत का क्या हाल होगा?” परसों ही शकुंतला से मुलाकात हुई थी, तब उसने कहा था. ऑस्ट्रेलिया की इंडियन सीनियर सिटिजंस की मीटिंग में पुलवामा के 40 शहीदों की स्मृति में गमगीन-बोझिल वातावरण को शकुंतला ने ही हल्का किया था.
”भारत मां की तरह मेरे भी कई लाल हैं. एक मुझे यहां मीटिंग में छोड़कर गया है, एक पुलवामा में मेजर है, एक लेह में पोस्टेड है.” 80 साल की शकुंतला सबको हंस-हंसकर जवाब दे रही थी. इस हंसने के पीछे ग़म का भरा-पूरा सैलाब था, यह उसको भी पता है, हम सबको भी.
”शहीद मेजर दुष्यंत की तीमी हूं, देशभक्ति मेरे लालों को घुट्टी में पिलाई गई है, उससे पहले वह घुट्टी मैंने और मेरे मेजर पति ने जमकर पी थी.” शकुंतला ने कहना जारी रखा- ”मेरे मेजर ने कहा था, मेरे शहीद होने पर रोना नहीं है, बेटों को भी फौज में जाने से मत रोकना. मैंने ऐसा ही किया था, आंसुओं को बाहर आने ही नहीं दिया था, अब तो आंसू भी पत्थर हो गए हैं.” शकुंतला ही सबकी जिज्ञासा के आकर्षण का केंद्र थी.
”मेजर ने ही सबसे छोटे बेटे का नाम भरत रखा था. पूरा परिवार ही देश के काम आ रहा है, तो उदास होने की गुंजाइश ही नहीं है. मेरा भरत जिंदा आया तो उसे मां की गोद मिलेगी, शहीद हो गया तो भारत मां की गोद मिलेगी. दोनों में कोई फ़र्क नहीं है.”
”सचमुच ऐसी ही वीर माताओं के कारण भारत मां के लाल विषम परिस्थितियों से भी मुकाबला कर लेते हैं, मां की गोद तो मिलेगी ही!” मेरे मन ने मुझे तसल्ली देने की कोशिश की.
जब जब भी देशभक्ति की बात आई है हमारे देश की ललनाओं ने अपने हर रूप में इसे साबित किया है । अभी निकिता ने जिस धैर्य और जज्बे का परिचय दिया , काबिलेतारीफ है । इसी तरह एक बेटी ने बिना रोये अपने पिता को सलूट किया तो लोग फफक पड़े थे । उस समय क्या गुजर रही होगी इनपर अनुमान ही लगाया जा सकता है । देश के प्रति इनके जज्बे की जितनी भी सराहना की जाय कम है.