उच्च रक्तचाप की प्राकृतिक चिकित्सा
*उपचार*
* प्रातः काल 6 बजे उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू का रस और एक चम्मच शहद घोलकर पियें। फिर 5 मिनट बाद शौच जायें।
* शौच के बाद 3 मिनट तक पेड़ू (नाभि से नीचे का पेट का आधा भाग) पर खूब ठंडे पानी में तौलिया गीली करके पोंछा लगायें। (गर्मी के दिनों में 5 मिनट का ठंडा कटिस्नान लें।) फिर टहलने जायें। तेज़ चाल से कम से कम दो किमी टहलें।
* टहलने के बाद कहीं पार्क में या घर पर नीचे दी गयी क्रियाएं करें।
– पवनमुक्तासन 1-2 मिनट
– भुजंगासन 1-2 मिनट
– रीढ़ के व्यायाम (वीडियो देखिए)
– कपालभाति प्राणायाम 100 बार से बढ़ाते हुए 300 बार तक
– अनुलोम विलोम प्राणायाम 1 मिनट से बढ़ाते हुए 5 मिनट तक
– अग्निसार क्रिया 3 बार
– भ्रामरी प्राणायाम 3 बार
– उद्गीत (ओंकार ध्वनि) 3 बार
*भोजन*
* व्यायाम के बाद खाली पेट लहसुन की तीन-चार कली छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके सादा पानी से निगल लें या चबायें।
* नाश्ता प्रातः 8 बजे – अंकुरित अन्न या दलिया या एक पाव मौसमी फल और एक कप गाय का बिना मक्खन का दूध या छाछ।
* दोपहर भोजन 1 से 2 बजे- रोटी, सब्जी, सलाद, दही (दाल चावल कभी-कभी कम मात्रा में)
* दोपहर बाद 4 बजे – किसी मौसमी फल का एक गिलास जूस या नीबू-पानी-शहद
* रात्रि भोजन 8 से 8.30 बजे – दही छोड़कर दोपहर जैसा। भूख से थोड़ा कम खायें।
* परहेज- चाय, काफी, कोल्ड ड्रिंक, बिस्कुट, चीनी, मिठाई, फास्ट फूड, अंडा, मांस, मछली, शराब, सिगरेट, तम्बाकू बिल्कुल नहीं।
* फ्रिज का पानी न पियें। घड़े या सुराही का साधारण शीतल या सादा जल ही पियें।
* मिर्च-मसाले तथा नमक कम से कम लें। केवल सेंधा नमक का उपयोग करें।
* दिन भर में कम से कम तीन लीटर सादा पानी पियें। लगभग हर सवा घंटे पर एक गिलास। जितनी बार पानी पीयेंगे उतनी बार पेशाब आयेगा। उसे रोकना नहीं है। पेशाब करते समय बिल्कुल ज़ोर न लगायें।
* भोजन के बाद पानी न पियें। केवल कुल्ला कर लें। उसके एक घंटे बाद एक गिलास सादा पानी पियें।
* रात्रि 10-10.30 बजे सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
* अन्य सभी तरह की दवायें बिल्कुल बंद रहेंगी। जो व्यक्ति पहले से रक्तचाप की दवा ले रहे हैं वे एकदम से दवा बन्द न करें, बल्कि हर १०-१५ दिनों पर दवा एक-चौथाई कम करें। इस तरह वे डेढ़-दो माह में दवाओं से मुक्त हो जायेंगे।
*विशेष*
* यह कार्यक्रम रक्तचाप के सभी रोगियों के लिए समान रूप से उपयोगी है। रोगमुक्त होने में रोग के स्तर के अनुसार एक से तीन महीने तक का समय लग सकता है।
* जो मधुमेह (डायबिटीज़) से भी पीड़ित हैं वे शहद को छोड़ सकते हैं।
— *विजय कुमार सिंघल*
माघ पूर्णिमा, सं. २०७५ वि. (१९ फ़रवरी, २०१९)