ठक-ठक, ठक-ठक-9
ठक-ठक, ठक-ठक-1
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं एलिसा हीली.”
”कौन एलिसा हीली?”
”अरे भाई, मैं ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम की क्रिकेटर एलिसा हीली हूं.”
”नमस्ते जी, आपकी उपलब्धि?”
”मैंने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर 80 मीटर ऊंचाई वाला कैच पकड़कर सबसे ऊंची कैच पकड़कर नया वर्ल्ड रेकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. यही ताजा उपलब्धि है मेरी.”
”और कुछ?”
”मैं पिछले साल आईसीसी टी20 इंटरनैशनल प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीत चुकी हूं.”
”आपको बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं.”
ठक-ठक, ठक-ठक-2
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं कोलकाता की सारिका.”
”आप अपने बारे में कुछ बताइए.”
”चार साल पहले मुझे एक दिन सब धुंधला-धुंधला दिख रहा था, दूसरे दिन बिलकुल दिखना बंद हो गया.”
”ओह! फिर?”
”फिर मेरे पति ने मुझे आंखों के कई डॉक्टरों और तंत्रिका (नर्व्स) रोग विशेषज्ञों को दिखाया, लेकिन ढाई साल तक कोई फायदा नहीं हुआ.”
”फिर तो आप बहुत परेशान हो गई होंगी?”
”परेशान तो होना ही था. फिर किसी ने मुझे मनोरोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी. छह महीने पहले डिप्रेशन का इलाज शुरू करते समय इंस्टिट्यूट ऑफ सायकायट्री हॉस्पिटल (आईओपी) के मनोरोग विशेषज्ञ ने बीमारी का कारण को भांप लिया. सारिका की दृष्टिहीनता का कारण आंख और तंत्रिका की समस्या ही नहीं है. यह न्यूरो-सायकायट्रिक समस्या है. डॉक्टरों का कहना है कि यह जटिल बीमारी है, लेकिन इसका इलाज असंभव नहीं.”
”और क्या बताया?”
”यह डिसथैमिया विद डिसोसिएशन विद साइकोजेनिक ब्लाइंडनेस है. यानी मानसिक बीमारी की वजह से आंख की देखने की क्षमता खत्म हो जाना. डॉ. साहा का कहना है कि मानसिक दबाव और पीड़ा के मिलेजुले प्रभाव से मेरे मस्तिष्क में कुछ ऐसा न्यूरोकेमिकल बन रहा था, जिससे मुझे धुंधला दिखाई पड़ने लगा. धीरे-धीरे मेरी आंखों की रोशनी चली गई. शुक्र है अब मेरी आंखों की रोशनी वापिस आ गई है.”
”आपकी यह सुखांत व्यथा-कथा, बहुत-से लोगों को रोशनी दिखा सकेगी.”
ठक-ठक, ठक-ठक-3
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं मातृभाषा दिवस.”
”तुम हर साल आ जाते हो?”
”बाकी सब दिवसों की तरह मुझे भी तो हर साल आना होता है न! ताकि मैं तुम्हें अपनी मातृभाषा की याद दिला सकूं और उसका महत्त्व बता सकूं.”
”यह तो हम जानते हैं, कि दुख की अति में हमारे मुख से अपनी मातृभाषा में ही बात निकलती है.”
”पर तुम सब बोलते तो इंग्लिश ही हो! इंग्लिश का प्रयोग करने वालों से अपने को हीन समझते हो. आओ तुम्हें एक किस्सा सुनाऊं.
एक लड़के ने अपनी नौकरी की अर्जी इंग्लिश की बजाय हिंदी में दी. नौकरी देने वाले ने कहा- ”तुम अनपढ़ हो?”
”मैं अनपढ़ नहीं हूं साहब, मेरी मातृभाषा हिंदी है, मुझे हिंदी में काम करना अच्छा लगता है.”
”बात तो सही है.”
”चलो तुमने बात को सही कहा है, इसलिए तुम्हें एक जानकारी मिलनी चाहिए.”
”दीजिए.”
”मेघालय के एक इलाके में लोग एक-दूसरे को मौखिक नाम से बुलाने की जगह एक धुन से बुलाते हैं. हर किसी के दो नाम होते हैं, बाहरी लोग उन्हें मौखिक नामों से पहचानते हैं और गांव के लोग उन्हें धुन से ही बुलाते हैं. यहां हर किसी की पहचान एक खास तरह की सीटी से होती है.”
”कौन सी भाषा में ऐसा होता है/”
”यह मेघालय में खासी भाषा बोलने वाले एक समुदाय की खास दिलचस्प प्रथा है.”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं नागपुर का एक युवक.”
”तुम कोई खास युवक हो क्या?”
”जी हां, मैं खास खुशनसीब युवक हूं, जो पल भर के अंदर एक युवक दो बार मौत के मुंह में जाने से बाल-बाल बचा.”
”वो कैसे खुशनसीब भाई?”
”मैं बाइक पर जा रहा था. पहले मेरी बाइक दे कार को टक्कर लग गई और मैं बाइक के साथ घिसटता हुआ दूर चला गया और फिर जैसे खड़ा हुआ मेरे सिर पर लैम्प पोस्ट गिर गया. शुक्र है, मैं दोनों बार बच गया.”
”लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे?”
”पहली बात तो मैंने हेलमेट पहना हुआ था, दूसरे शायद मेरी किस्मत अच्छी थी, बच भी गया और कोई गंभीर चोट भी नहीं आई है.”
”बधाई हो हेलमेट वाले खुशनसीब भाई!”
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”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं आंद्रे अगासी.”
”आंद्रे अगासी यानी अमेरिकी दिग्गज टेनिस प्लेयनर आंद्रे अगासी,जिन्होंने इस सदी की शुरुआत में 8 ग्रैंड स्लैम अपने नाम किया था? कहिए क्या कहना चाहते हैं?”
”मैंने 90 चार्टर स्कूल खोलने में $1 अरब से ज्यादा निवेश किया है.”
”कोई ख़ास वजह?”
”मैं खुद 8वीं क्लास के बाद पढ़ाई नहीं कर सका था, इसलिए मुझे इस क्षेत्र में निवेश करना ज्यादा अच्छा लगता है.”
”यह तो बहुत अच्छी बात है. व्यापार-का-व्यापार और सेवा-की-सेवा!”
”ठक-ठक, ठक-ठक”.
”कौन है?”
”मैं हूं पेसमेकर.”
”कौन पेसमेकर? दिल को जीवंत रखने वाले सहायक जी?”
”ठीक पहचाना, मुझे चलाने के लिए अब बैटरी की जरूरत नहीं, अब दिल की धड़कनों से चलेंगे पेसमेकर.”
”यह कमाल कैसने किया?”
”चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसा पेसमेकर डिवेलप किया है जिसे ऊर्जा के लिए बैटरी की जरूरत नहीं पड़ेगी. वह दिल की धड़कनों से ही अपनी एनर्जी ले लेगा.”
”चलो, यह तो दिल के लिए बहुत अच्छी खबर है.”