गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – मात

अभी बाकी है बात आ जाओ ,
ढल न जाए ये रात आ जाओ ।
जल रही है शमा तेरी ख़़ातिर ,
और उसपे ये घात आ जाओ ।
कहीं बन जाए न ये दर्द फ़ुगां ,
न चलाओं ये कात आ जाओ ।
दिलके ज़ख्मों के साथमें कैसे ,
गुज़रेगी ये  हयात  आ जाओ ।
सुर्ख होठों पे सजे शब़नम की ,
हो  न जाए  यूं मात आ जाओ ।
पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है