गज़ल
दबा के रखो न दिल में सवाल जो भी हो
कि चारागर से न छुपेगा हाल जो भी हो
इश्क जब हो ही गया है तब परवाह कैसी
नतीजा इसका हिज्र या विसाल जो भी हो
तू साथ है तो मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता
मेरे बारे में लोगों का ख्याल जो भी हो
ज़िंदगी के हर सफे पे नाम तेरा है
जवाब तू ही तू है बस सवाल जो भी हो
इज़हार-ए-इश्क सोचता हूँ आज कर ही लूँ
बाद में देखा जाएगा बवाल जो भी हो
— भरत मल्होत्रा