एक क़लम जो …
एक क़लम जो हरी धूप से ,
घास चुराया करती थी !
सतरंगी शब्दों को बुनकर,
मेघधनुष में ढल जाया करती थी !
दिन ढले पपीहे की टेर बनकर,
मधु गीत सुनाया करती थी ।
या कभी बिछुड़ी प्रेयसी का,
प्रेम पात्र बन जाया करती थी !!
एक क़लम….
एक क़लम जो हरी धूप से ,
घास चुराया करती थी !
सतरंगी शब्दों को बुनकर,
मेघधनुष में ढल जाया करती थी !
दिन ढले पपीहे की टेर बनकर,
मधु गीत सुनाया करती थी ।
या कभी बिछुड़ी प्रेयसी का,
प्रेम पात्र बन जाया करती थी !!
एक क़लम….