ख़ुद का साथी सिर्फ़ खुदा !
हज़ार रिश्तों में बँधा आदमी भी ,
हर दिल से जुदा होता है ।
लाख पिरो ले वो धागे मोह के,
ख़ुद का साथी सिर्फ़ खुदा होता है।।
हज़ार रिश्तों में बँधा आदमी भी ,
हर दिल से जुदा होता है ।
लाख पिरो ले वो धागे मोह के,
ख़ुद का साथी सिर्फ़ खुदा होता है।।