मुक्तक/दोहा

ख़ुद का साथी सिर्फ़ खुदा !

हज़ार रिश्तों में बँधा आदमी भी ,
हर दिल से जुदा होता है ।

लाख पिरो ले वो धागे मोह के,
ख़ुद का साथी सिर्फ़ खुदा होता है।।

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]