कविता

बरखा और बसंत !

पीले पीले फूल खिले,
था चारों ओर बसंत ।
जैसे पीताम्बर ओढ़,
घूम रहा हो संत !!

किंतु बरखा और तूफ़ानो ने मिल,
छीन लिए प्राण उपवन के ।
हो जैसे कोई साथी छूटा,
बिखर गए हों रंग जीवन के ।।

नीरज सचान ।

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]