मौसम है अनुरक्त सा…
मौसम है अनुरक्त सा,
काली घटाएँ छायी हैं ।
बारिशें शायद यहाँ ,
फिर से लौट आयी हैं।।
मिटा चुका था मैं,
जिन गुज़िश्ता यादों को।
आज बन के बूँदे ,
मेरी आँखों में उतर आयी हैं।।
नीरज सचान
मौसम है अनुरक्त सा,
काली घटाएँ छायी हैं ।
बारिशें शायद यहाँ ,
फिर से लौट आयी हैं।।
मिटा चुका था मैं,
जिन गुज़िश्ता यादों को।
आज बन के बूँदे ,
मेरी आँखों में उतर आयी हैं।।
नीरज सचान