पकवान (मनहरण घनाक्षरी)
बना कर पकवान,
गरीबों को करो दान,
भूख से न जाये जान,
भारत महान है ।
पकवान बनाकर,
अपना भी पेट भर,
खाना वो जो हितकर,
मुनियों का गान है।
क्षीर से पनीर खीर,
छानकर पीना नीर
भुखमरी देना चीर,
बने पकवान है ।
चाईनीज भोज खाये,
पेट भर रोग पाये,
वैद्य मन हरषाये,
निकट श्मशान है ।
— रामचन्द्र ममगाँई “पंकज”
देवभूमि हरिद्वार