परीक्षाओं में सफल होने के आसान तरीके
बोर्ड परीक्षा आते ही अतुल की तबियत खराब हो जाती है। उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। कभी कभी तेज तेज घबराहट होती है। इतना बड़ा सेलेबस मैं कैसे पढ़ूँगा। परीक्षा तो कल ही तो है। साल भर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने में गुजर गया। काश मम्मी पापा भैया भाभी की सुनी होती। थोड़ा थोड़ा पढ़ लेता तो आज ये दिन देखने नहीं पड़ते। ये अतुल की ही नहीं हर घर के बच्चों की यही कहानी है। अक्सर बच्चे परीक्षाओं के समय व्यर्थ की चिंता से ग्रस्त हो जाते हैं। वे मानसिक तनाव पाल लेते हैं। बच्चे अवसाद के शिकार हो जाते हैं। घर परिवार के सदस्य भी रोज रोज बोर्ड परीक्षा का भय बिठा देते हैं। बोर्ड है ढंग से पढ़ लो। ये बात तो शिक्षक परिवार के सभी लोग साथ मे रिश्तेदार भी कहते हैं।
बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थी को अलग से अध्ययन कक्ष में बैठा दिया जाता है। घर वाले भी उससे परीक्षा के दिनों में कम ही बतियाते हैं। उसके दोस्त आते हैं तो उनसे भी झूँठ बोल दिया जाता है। कि घर पर नहीं है। खाने पीने से लगाकर सभी दैनिक दिनचर्या उसकी अलग ही निर्धारित होती है। बोर्ड परीक्षा के कारण विद्यार्थी फोबिया का शिकार हो जाते हैं। परीक्षा का तनाव नहीं होना चाहिए। मानसिक तनाव में रहने के कारण माइग्रेन की शिकायत। सिर दर्द तेज तेज होना। रोज रोज गोली खाना। फिर पढ़ाई करना क्या ठीक है। नहीं मस्त होकर पढ़ाई करें। खाएं पियें रोज की तरह। बोर्ड परीक्षा का तनाव न पालें। घर वालों से हँसकर बातचीत करें। घर का काम भी करें।
लिखकर पढ़ाई करें। परीक्षा में आने वाले पाठों के प्रश्न उत्तर एक रजिस्टर में लिख लें। सुबह जल्दी उठकर पढ़ें। आपको जो लिखे सब याद होंगे।देर रात तक पढ़ने के बजाय सुबह जल्दी उठकर पढ़ना चाहिए। प्रश्नपत्र करते समय ध्यान रखें जो प्रश्न आपको याद है उन्हें सबसे पहले करें। जिन सवालों का जवाब याद नहीं उन्हें यदि हम सबसे पहले करेंगे तो उलझ जाओगे । पेपर का समय यूँ ही निकल जायेगा। इसलिए जिनके उत्तर याद है उन्हें सबसे पहले कीजिये।
निबंधात्मक प्रश्नों के उत्तर पॉइन्ट बनाकर लिखें। फिर एक एक बिंदु को विस्तार से लिखिए। अपनी मर्जी से उटपटांग उत्तर न लिखें। किन्ही देवी देवता की जय लिखने से प्रश्न में पेपर जांचने वाला अंक नहीं देता है इसलिए उत्तर पुस्तिका साफ सुथरी रखें। जिसका पेपर सबसे पहले है उसकी तैयारी करो। परीक्षा के समय से एक घण्टे पूर्व ही पढ़ना छोड़ दें। मनन करें। बहुत से बच्चे घण्टा बज जाता है जहाँ तक भी वन वीक सीरीज पढ़ते रहते हैं। बिंदु रटते रहते हैं। रटने के बजाय समझना चाहिए। रटने वाले तो उत्तर भूल जाते हैं।
आशावादी सोच रखे। मैं शत प्रतिशत अंक लेकर आऊँगा। दृढ़ निश्चय कर परीक्षा देना चाहिए। आपको शत प्रतिशत अंक ही मिलेंगे। सकारात्मक सोंचे। सगलतापूर्वक परीक्षा सम्पन्न होगी। परीक्षा से पूर्व बच्चे मन्दिरों मस्जिदों में मन्नत माँगते है। मेरा मानना है आप एक दिन नहीं रोज रोज देव स्थानों पर क्यों नहीं जाते हो। प्रतिदिन जाओ। भगवान उसी की सुनता है जो कर्म करता है। अच्छा पढ़ो। कम पढ़ो मगर जितना पढ़ो उतना ही याद होना चाहिए। पूरे पाठ्यक्रम के पीछे न पड़ो। जो महत्वपूर्ण हो वह पढ़ो। फिर सफलता आपके कदम चूमेगी।
— राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”
शिक्षाविद, साहित्यकार