अपने ही…
आते थे कभी फोन मगर अब नहीं आते,
अपने ही दोस्त अपने कगर अब नहीं आते!
कुछ दिन से मेरा पर्स जो है तंग क्या हुआ,
अपने ही मेरे दिल की डगर अब नहीं आते!
करते थे बड़े प्यार से जो दोस्त कभी बात,
लेकर वो प्यार वाली ख़बर अब नहीं आते!
देते थे कभी छाँव जो तरु की तरह हमें,
राहों में वह हमारी शजर अब नहीं आते!
जीना है अब अकेले ‘सरस’ तुमको ज़िन्दगी,
अच्छा है पास चश्मे-शहर अब नहीं आते!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)