हाथ मिले मन में अनबन है, सच मानो…
हाथ मिले मन में अनबन है सच मानो
भाई भाई का दुश्मन है सच मानो
अपनो से तो ग़ैर भले हैं अपनो में
बस कहने का अपनापन है सच मानो
सोना तपता है भट्टी में तब जाकर
सोने से बनता कुंदन है सच मानो
जो मन में है वो चहरे पर दिखता है
हर चहरा मन का दर्पन है सच मानो
करती हो महसूस जिसे अपने दिल में
वो मेरे दिल की धड़कन है सच मानो
इस मिट्टी में खून मिला है पुरखों का
ये मिट्टी पावन चंदन है सच मानो
जैसे गीत ग़जल कविताएं लिखता हूँ
बिल्कुल वैसा मेरा मन है सच मानो
सतीश बंसल
१३.०३.२०१९