क्षणिकाएं: आपकी-हमारी
क्षणिका- 1
होली के हुड़दंग में घुले,
उल्लास और उमंग।
वैर-भाव की जलायें होली,
हर आंगन बिखरे प्रेम-रंग।
द्वेष जलायें, स्नेह लुटायें,
बहे प्रेमरस-धारा,
सौंधी मिट्टी की खुशबू में
सजे नवरंग-पिटारा।
बेरंग-गमगीन जिंदगी में
आये हर्ष-उजियारा,
सद्भाव और सरल स्नेह से,
चहके दिल-इकतारा।
चंचल जैन
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क्षणिका- 2
सबको दिलखुश जुगलबंदी का मजा आने लगा है.
पुष्प पर भँवरा मँडराने लगा है,
‘सुदर्शन’ नाम की खाद पाकर,पुष्प लहलहाने लगा है.
ये खुशी और जो ये नया अंदाज है,
दीदी को इस पर नाज है,
कल तक जो छोटा पौधा था,
एक बड़ा वृक्ष वो आज है.
वैर-कलुष को मन से भुलाकर,
निकलेगी हम सब की टोली,
होली-होली करते-करते, हो जाएंगें हम holy,
बहुत सुन्दर बहुत बधाई,
गई सर्दी और होली आई.
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क्षणिका-3
होली प्रेम की बोली है
रंगों की रंगोली है
मीठी-मीठी बनी है गुझिया
मीठी बनी रसगुल्ली है
पेठे ने भी बदला रंग
कहीं पीला तो कहीं हरा
कहीं पे पहना लाल रंग
पीले में है केसर भरा
हरे में डाली है खसखस
लाल रंग से रंगत आई
गुलाबी खुशबू मन महकाए
मीठे की मिठास है भाई
सुनो रे सुनो रे भाई होली आई
रंग बिरंगी होली आई,
प्रेम-प्यार की लिए ठिठोली,
रंबिरंगी होली आई,
सबको बधाई जी, सबको बधाई.
सुदर्शन खन्ना
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क्षणिका-4
नयी तरंगें नयी उमंगें
लेकर होली आई है,
प्रेम-प्यार का सबक सुरीला,
लेकर होली आई है,
आओ इसमें तन-मन रंग लें,
कहने होली आई है,
जीवन को रंगीन बना लें,
रंग ले होली आई है.
लीला तिवानी
क्षणिका-5
होली के हुड़दंग में,
भांग की तरंग में,
बहक न जाना,
प्रेम निभाना,
वैर भुलाना,
खुशियां देना,
आनंद पाना,
इस तरह से प्यारे,
सजीली-रंगीली होली मनाना.
लीला तिवानी
क्षणिका- 6
दिलखुश जुगलबंदी के बढ़ते जा रहे हैं कदम,
किसी के सुर, किसी की ताल,
कर रही है कमाल,
काव्यात्मक टिप्पणियां
और ब्लॉगर बन रहे हैं हमदम.
इंद्रेश उनियाल
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क्षणिका-7
फक्कड़ बाबा’ फक्कड़ बाबा’
चुनाव लड़ रहे फक्कड़ बाबा’
16 बार चुनाव में हारे
फिर भी निराश न फक्कड़ बाबा’
गुरु ने कहा था हार न मानो
लड़ते जाओ फक्कड़ बाबा’
बार बीसवीं तुम जीतोगे
वाह क्या जोश है फक्कड़ बाबा’!
लीला तिवानी
ब्लॉग
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हमारे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद. हमें इस बात की बहुत खुशी है, कि हमारे एक आह्वान पर आप लोग नई-नई बातें सीखने को और हमारे ब्लॉग में अपनी रचनाएं भेजने को प्रस्तुत होते हैं. क्षणिका के आह्वान ने चंचल जैन से बहुत सुंदर क्षणिका का सृजन करवा दिया, दिलखुश जुगलबंदी ने कुसुम सुराना से दिलखुश जुगलबंदी करवा दी. रविंदर भाई, सुदर्शन भाई और इंद्रेश भाई की कविता की खूबसूरत बानगी तो हम सब पहले ही देख चुके हैं. आप सभी माननीय ब्लॉगर्स, पाठकों और पाठक कॉमेंटर्स को हमारे ब्लॉग से जुड़ने और रंग बिरंगे त्योहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
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हमारे ब्लॉग से जुड़ने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद. अभी-अभी हमने देखा कि सखी चंचल जैन दिलखुश जुगलबंदी से भी जुड़ गई हैं. समय आने पर आप उनकी दिलखुश जुगलबंदी भी देख पाएंगे. आप सबके लिए भी स्नेह-निमंत्रण है. एक बार फिर आप सभी माननीय ब्लॉगर्स, पाठकों और पाठक कॉमेंटर्स को हमारे ब्लॉग से जुड़ने और रंग बिरंगे त्योहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं.