गीतिका/ग़ज़ल

नम हवा फुलवारियों की

नम हवा फुलवारियों की खूब भाती है मुझे।
नित्य नव भावों भरी कविता सुनाती है मुझे।

रात के आगोश में सुख स्वप्न गाते लोरियाँ
प्रात प्यारी शबनमी, निस दिन जगाती है मुझे।

लाल सूरज जब समंदर में उतरता शाम को
तब क्षितिज की स्वर्ण सी आभा लुभाती है मुझे

रूप जब विकराल होता, गर्मियों में धूप का
नीम की ठंडी हवा, झूला झुलाती है मुझे।

सावनी बरसात की, आँगन में लगती जब झड़ी
नाव कागज़ की वो भूली, याद आती है मुझे।

शीत जब परवान चढ़ती, काँपता थर-थर बदन
धूप अपनी गोद में, हँसकर बिठाती है मुझे।

चाँदनी रातों में जब तुम दूर होते हो कभी।
चंद्रमा की हर किरन, पल-पल रिझाती है मुझे।

प्रिय तुम्हारे साथ का अहसास है ताकत मेरी
‘कल्पना’ हर ऋतु परी, तुमसे मिलाती है मुझे।

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]