हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – चार लोगों की बात, चार लोगों के साथ

जैसे जीवन जीने के लिए सांस लेना जरूरी है, वैसे ही सम्मानजनक जीवन जीने के लिए चार लोगों का कहा मानना भी जरूरी हैं। इन चार लोगों के आगे हमेशा नजरें झुकाकर चलना चाहिए और इनकी हर बात में ‘हां’ में ‘हां’ मिलाते रहना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से इन चार लोगों को अच्छा लगता हैं। इनको अपने होने का अहसास होने लगता है और ऐसा करके अपन को भी अपने नहीं होने का अहसास हो जाता है। इन चार लोगों की पसंद-नापसंद का ख्याल रखते हुए कपड़े-लत्ते खरीदने, सिलवाने और पहनने चाहिए। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमारी किसी भी बात से ये चार लोग कभी खफा न हों। एक बार नवविवाहित दुल्हे की दुल्हन भले रूठ जाएं, चलेगा। लेकिन, इन चार लोगों का रूठना नहीें चलेगा। 

अगर इन चार लोगों का बराबर ध्यान नहीं रखा तो मरने के बाद भी अपनी अर्थी के लिए चार कंधे ढूंढ़ते रह जाओगे। क्योंकि जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी चाहिए ये चार लोग। वैसे बड़े भले हैं बेचारे ये चार लोग। मरने से पहले आपका साथ भले न दे लेकिन मरने के बाद तो पूरा साथ देते हैं। इसलिए चार लोगों को खुश रखो, उनकी मान-मर्यादा का ख्याल रखो और उनका हालचाल पूछते रहो। इनके फेसबुक अकाउंट से आने वाली हर पोस्ट पर टाइम टू टाइम लाइक मारते रहो और श्रद्धा न होते हुए भी श्रद्धावश शालीन भाषा में लवली लवली कमेंट करते रहो। इन चार लोगों की प्रशंसा में सारे रिकॉर्ड तोड़ दो, धरती और आसमान एक कर दो। इनको खुश करने का कोई भी मौका मत छोड़ो। 

अगर ये चार लोग खुश रहेंगे तो आपकी भी बल्ले बल्ले होगी। आपकी भी इज्जत आसमान जितनी फैल जाएगी। लोग आपको भी पूछने लगेंगे और आपकी भी राय लेंगे। भले ही ये चार लोग आपके साथ दुष्टता का व्यवहार करें तो भी हंसकर सह लो। भरोसा रखो कि एक दिन ये आपके साथ सम्मान से पेश आएंगे। जीते जी भले आपको इज्जत न दे लेकिन मरने के बाद तो आपको ये ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ जरूर देंगे। इसलिए उनको कभी भी नाराज मत करो। भले ही ये चार लोग दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने के बजाय वीडियो बनाए तो भी इन्हें बनाने दो, यह सोचकर मन को बहला लो कि एक दिन सबका नंबर आता है। 

ये चार लोग वे हैं जो किसी के फटे में टांग नहीं अड़ाते बल्कि फाड़ ही देते हैं। ये चार लोग किसी अबला की लुटती अस्मत को बचाने के लिए सबसे पहले दौड़कर आते हैं। यह अलग बात है मौका मिलने पर ये किसी अबला को आंख और सीटी मारने से भी पीछे नहीं हटते हैं। ये चार लोग राजनीति की भाषा में कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया के नाम से जाने पहचाने जाते हैं, तो धार्मिक भाषा में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई कहे जाते हैं और सामाजिक भाषा में मान, मार्यादा, प्रतिष्ठा और निष्ठा से संबोधित होते हैं। ये राजनीतिक चार लोग कभी राफेल तो कभी बोफोर्स पर लड़ते हैं, तो धार्मिक चार लोग राम मंदिर और सबरीमाला मंदिर पर झगड़ते हैं, और सामाजिक चार लोग अपने नाम से विपरीत कांड़ करते हैं। 

जब चार लोग होंगे तो लड़ेंगे-झगड़ेंगे तो खरा ही और कांड भी नहीं करें, ये कैसे मुमकिन है ! इसलिए इन चार लोगों की इन बातों को गंभीरता से ना लो। बस ! इनकी शान में अपनी शान लुटाते रहो। क्योंकि मरने के बाद आपकी अर्थी पर ये ही चार लोग घड़ियाली आंसू ही सही बहाकर दुनिया को बताएंगे तो खरा कि मरने वाला आदमी बड़ा भला था !

देवेंद्रराज सुथार 

 

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]