ग़ज़ल
हुआ है प्यार तो वे चश्म से इकरार करते है
छुपाकर प्यार दिल में, क्यों जुबां से वार करते है ?
हमेशा एक ही वादा किया करते कुटिल नेता
भली भोली प्रजा हर बात पर इतवार करते हैं |
ज़माने में सियासत बिक गयी गुंडों के’ हाथों में
वो’ जबरन और की गुजरान पर अधिकार करते हैं |
गलत मत है, हसीनाएं तो’ अपने अक्स अनुरागी
नजाकत-ए-हसीना आइना से प्यार करते हैं |
करे विश्वास कैसे अब उन्हें है धूर्तता आदत
कुटिल निर्दोष से इंसान पीछे वार करते है |
लगाओ चाहे’ तुम जी एस टी, कानून कोई और*
चतुर जो व्यावसायी, एक के वे चार करते हैं |
तू’ आती सामने जब मैं कहूँ क्या, भूल जाता हूँ
समझ लो जान भोले प्यार का इज़हार करते हैं |
अभी इस देश में भी लोग हैं, संवेदना भी है
सभी “काली’ जरूरत मंद का उपकार करते हैं |
कालीपद ‘प्रसाद’