तुम्हारे हृदय से
मिला सुर हमारा तुम्हारे हृदय से
सभी साज बजने लगे अपनी लय से
हुआ पल में वातावरण संदली
ये स्पर्श कर तेरा आई मलय से
ऋतुओं पे होने लगा यूं असर
के खिलने लगे फूल पहले समय से
जब से तुम्हारा सहारा मिला
के निर्भय हुये हम जमाने के भय से
आतम के अंदर यूं फैला प्रकाश
के जैसे प्रगट हो रवि के उदय से
— पुष्पा “स्वाती”