भगत सिंह आजादी का दिवाना
भगत सिंह
आजादी का दिवाना
गोरे वानर ने जब लूटा तब चमन बर्बाद हुआ
सिर कटे है वीरों के तब वतन आजाद हुआ
चरखा चलाने सही नहीं यहाँ गर्दन भी कटानी थी
फांसी के फंदे पै चढ़के यहाँ अपनी दी कुर्बानी थी
बाली उमर में जिसने खेतों में बंदूकों को बोया था
आजादी का लिए स्वप्न वो एक दिन नहीं सोया था
आजादी की अभिलाषा में जननाद मुखर था
और शिराओं में शोणित का वेग भी प्रखर था
ज्वाला दहक उठी सीने में गोरों की हस्ती मिटाने को
बलिवेदी पर मिट भारत मां की अस्मिता बचाने को
बगावत की आंधी स्वर का जब सिर चढ़ के बोला था
भारत मां का कण कण यहाँ जयहिंद भारत बोला था
जालिम फिरंगियों के जुर्म से धरा का धीर डोला था
यहाँ बच्चा बच्चा का लहू आंखो में उतर खोला था
कारागृह में पैदा हुआ भगत बहुत वो छबीला था
पंजाबी माटी का शेर रणबांकुरा वो हठीला था
देख जलियांवाला कांड रक्त उतरा उसकी आंखो में
मन मचला उसका जालिम को करने फांको फांको में
शोले दहक रहें हृदय में जब चली आंधी क्रांति की
मासूमों की हत्या पै नमक छिड़क रहे गाँधी शांति की
साइमन कमीशन का विरोध करने लाला आये मैदानों में
लाठियां चलवा दी जालिम स्काॅट नै मासूम किसानों में
वृद्ध केसरी पंजाबी लाला को अपनी जान गवानी थी
खौलते लहू में क्रांति थी शांति की बात न सुहानी थी
लाखों की हत्याओं को हम दुर्घटना नहीं कह सकते
भारत मां की छाती पर लगा घाव हम नहीं सह सकते
जटामुंड बन भगत ने चौराहे पर तांडव मचा डाला
भूल से सांर्डस आया तो उसको भी था मिटा डाला
ज्वाला थी सीने में अब क्रांति की आग दहका थी
लाला की मौत ने हर कण में चिंगारी भड़कानी थी
जलियां की आग ने देश को झकझोर दिया
तब उस बालक ने क्रांति का शिरमोर किया
देख आंखो में शोले उसके गोरों की रूह कांपी थी
शायद भावी क्रांति की आहट को धरा ने भांपी थी
क्रूर फिरंगियों के जिसने हर भम्र को तोड़ दिया
बांध कफ़न जिसने बंम असेंबली में फोड़ दिया
लेकर बदला ऋण मां का चुकाऊ ख्याल मन में डोला
विद्रोह के अंगारे लिए हर युवा ने पहना बसंती चोला
पहन बसंती चोला दिवाना मस्ती में यहाँ झूम लिया
हंसकर वो इंकलाब बोला और फंदे को चूम लिया
शत शत वंदन करता हूँ मैं ऐ भारती के परम दुलारे
चले आओ जरूरत है भगत वतन तुमको अब पुकारे
भानु शर्मा रंज
कवि और गीतकार
धौलपुर राजस्थान
7374060400