ऐसा तुमने होना ना दिया
सख्त पाहन सा दिल मेरा
हो ऐसा तुमने होने ना दिया
लगा इश्क मेरी वफाओ से
सकूँ से तुमने सोने ना दिया
कर लूं तिजारत खुद से मैं
हवाओं में तूने खोने ना दिया
भीगा है मोतियों से मन मेरा
आखों को तुमने रोने ना दिया
जी लूं तन्हा ये जिंदगी अब
अकेले बोझ ये ढोने ना दिया
मोहब्बत हो या कैद ए जंजीर
जुदा खुद से होने ना दिया
पल्लवित हो सुमन इस बाग में
ऐसा बीज तुमने बोने ना दिया
बेवफाई की चिता जल रही है
पर कफ़न तुमनेओढ़ने ना दिया
संदीप चतुर्वेदी “संघर्ष “