कविता

खुशी को खुशी ही रहने दो

खुशी को खुशी ही रहने दो, छोटा-बड़ा मत करो
जीवन को जीवन ही रहने दो, खोटा-खरा मत करो।

एक दिन मृत्यु तो आनी ही है, आनाकानी मत करो
शर्म को शर्म ही रहने दो, पानी-पानी मत करो।

खुशी को खुशी समझने से आनंद की पूंजी मिलती है
जीवन को जीवन समझने से मन की कली खिलती है।

मृत्यु को मृत्यु समझने से संतोष और धैर्य बढ़ते हैं,
शर्म को शर्म समझने से मानवता के भाव चढ़ते हैं।

खुशी मिलने पर प्रभु को धन्यवाद देना न भूलें,
जीवन में कुछ हासिल होने पर गर्व से न फूलें।

आने वाली मृत्यु के भय से बार-बार न मरें,
शर्म जहां भी दिखे, उसे श्रद्धा से नमन करें।

खुशी मधुरिम बयार है, उसे स्वतंत्रता से रहने दो
जीवन खुशनुमा बहार है, उसे मौज से बसर करने दो।

मृत्यु आगामी जीवन का आधार है, उसे दृढ़ता से लहकने दो
शर्म सपनीला श्रृंगार है, उसे सपनीला ही रहने दो।

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “खुशी को खुशी ही रहने दो

  • लीला तिवानी

    खुशी को खुशी ही रहने दो, तो जीवन संवर जाएगा,
    मौत तो आनी ही है आएगी अपने समय पर,
    अपनी ही जगह पर,
    अपनी ही शर्तों पर
    लेकिन अभी तो खुशी का चमन खिल जाएगा.

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