गज़ल
मापनी:- 1222 1222 1222 1222
बनी आदत सभी सहना,रही चाहत निभाना है
कभी रोये न गम पाये कसक लेकर सुनाना है.
न पग पीछे चले हसरत लिये सा ही निशाना है
जिसे आता है दिल देना ,उसी का ये ज़माना है.
मदद की सोचते सेवा लिये कुछ पल दिखाना है
जिसे आता असल हो के खिला पाना हँसाना है.
बने श्रमिक करे कोशिश दुनिया को जगाना है
बुराई आदतों पर यूँ लिखें गाना सुनाना है.
वतन सेवा पले हर मन दिखा सा जो सयाना है
चमन भारत हटा शूलो नया कर सर झुकाना है।।
— रेखा मोहन २६/३/१९