ढाई आखर प्रेम के
ढाई अक्षर का शब्द होता प्रेम।
कितना पवित्र शब्द होता प्रेम।।
समर्पण की परिभाषा बनता।
सागर से भी गहरा होता प्रेम।।
राधा की तरह मीरां की तरह।
असीम व अनित्य होता प्रेम।।
प्रेम से मधुरता आती है देखो।
किसी एक से ही होता है प्रेम।।
प्रेम से आत्मा परमात्मा होती।
परमेश्वर से मिलन होता प्रेम।।
प्रेम सत्य होता प्रेम शाश्वत है।
ईश्वरीय तत्व दर्शन होता प्रेम।।
प्रेम सृजन करता है जीवन में।
विश्वास की दृढ़ नींव होता प्रेम।।
नियम संयम भी सीखता प्रेम।
इंसान से इंसान को होता प्रेम।।
जीवन का एक आधार है प्रेम।
सुख वैभव का सार होता प्रेम।।
कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी