नवरात्रि पर विशेष – मां दुर्गा
शक्ति का आधार मां तू !
ज्ञान का संसार मां तू !मैं लिये अंधियार सँग में,
पर सदा उजियार मां तू !
ज्ञान का संसार मां तू !मैं लिये अंधियार सँग में,
पर सदा उजियार मां तू !
ज़िन्दगी हर पल भटकती,
पर निरंतर सार मां तू !
पाप जब बढ़ने लगें तब,
आचरण पर मार मां तू !
सत्य,धर्म, न्याय,नीति,
से करे अभिसार मां तू !
हम भले ही पूत खोटे,
पर करे नित प्यार मां तू !
ज़िन्दगी जब भी भटकती,
तब सदा आधार मां तू !
यह जगत जब भी प्रदूषित,
तब करे उपकार मां तू !
हम तिरे हरदम आभारी,
है सदा उपहार मां तू !
जब कराहें और रोदन,
धर्म की झंकार मां तू !
बढ़ने लगें दुष्कर्म जब ,
संहार की जयकार मां तू !
जब बढ़े अभिमान तब-तब,
ज्ञान का आगार मां तू !फूल देकर इस जहां को,
दूर करती खार मां तू ?
ज्ञान का आगार मां तू !फूल देकर इस जहां को,
दूर करती खार मां तू ?
करता “शरद “गुणगान तेरा,
है मेरा संसार मां तू !!
— प्रो.शरद नारायण खरे