अमिट निशानियां
मिला है मानव जीवन तो
काम ऐसा कुछ कर जा प्यारे,
जग तुझे कभी भुला ना सके
चमकना बनके गगन के तारे।
पाल मन सागर में सप्न मोती
मिल जाए एक दिन उसे किनारे,
छोड़ जा ऐसे कदमों के निशां
मिटा न सके जिसे समय लहरें।
आने वाली पीढ़ी बढ़ेगी आगे
कदमों के निशां कर अनुसरण,
जग में नाम अमर होगा तेरा
चाहे कर ले मृत्यु तुझे वरण।
जीवन रेत का है एक घरौंदा
लहरें मिटाकर चली जाती है,
परंतु अच्छे कर्मों के निशां
समय लहरे कहां मिटा पाती है।
युग युग तक सबके दिलों पर
ऐसे वो अंकित रह जाते हैं,
जैसे एक पत्थर की छाती पर
छेनी से मूर्तिकार मूर्ति गढ़ते हैं।
इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों से
लिखी जाएगी तेरी अमिट गाथा,
आगे आने वाली प्रत्येक पीढ़ी
स्मरण करें टेककर अपना माथा।
पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।