कविता

चल अकेला

डूब गया जब कोई सितारा,
दिल को न बहकाना तुम ,
आएगा फिर मौसम बहार का ,
आंखों को न नम कर जाना तुम ।

महफ़िल मस्ती की मिल जाये
हर पल ये कोई जरूरी नहीं।
छायेगा फिर से रंग बहार का ,
अंधेरों से मत घबराना तुम ।

नीले पीले हरे गुलाबी सतरंगी
रंग अनेक बदलते इस जीवन के ।
हिम्मत को रखकर पल्लू में ,
कदम जोशीला हरदम बढ़ाना तुम ।।

अंधों की नीरस बस्ती में मिल जाएंगे
राह दिखाने लाखों मनचले फकीर ।
परवानों की अजनबी भीड़ में ,
रास्तों से मत भटक जाना तुम।।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़..

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017