चल अकेला
डूब गया जब कोई सितारा,
दिल को न बहकाना तुम ,
आएगा फिर मौसम बहार का ,
आंखों को न नम कर जाना तुम ।
महफ़िल मस्ती की मिल जाये
हर पल ये कोई जरूरी नहीं।
छायेगा फिर से रंग बहार का ,
अंधेरों से मत घबराना तुम ।
नीले पीले हरे गुलाबी सतरंगी
रंग अनेक बदलते इस जीवन के ।
हिम्मत को रखकर पल्लू में ,
कदम जोशीला हरदम बढ़ाना तुम ।।
अंधों की नीरस बस्ती में मिल जाएंगे
राह दिखाने लाखों मनचले फकीर ।
परवानों की अजनबी भीड़ में ,
रास्तों से मत भटक जाना तुम।।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़..