मुक्तक/दोहा

दोहे संघर्ष के

नौजवान लगता वही,रखता जो उत्साह ।
यदि तुम में गतिशीलता,तो निश्चित तुम शाह।।
कभी नहीं जो हो शिथिल,उसको मिलती राह।
उसका जग वंदन करे,करता हर इक वाह।।
कर्मठता ले जो बढ़े,वह पाता है लक्ष।
संघर्षों से आदमी, हो जाता है दक्ष।।
उम्र आंकड़ों का गणित, रक्खो हरदम तेज।
अंदर से बल है अगर, जीवन तब सुख-सेज।।
ग़म,पीड़ा,दुख,दर्द में, ना हो जो मायूस।
वह बंदा हर हाल में, सुख करता महसूस।।
कांटों पर जो चल सके, वह पाता आनंद।
जो फूलों की चाह में, उसका रस्ता बंद।।
जीवन यह वरदान है, समझो ना अभिशाप।
जीवन में है श्रेष्ठता, माप सको तो माप।।
“शरद” यही कहता सुनो, नहीं कोय दे साथ ।
संग रहेगा पर ख़ुदा, छोड़ेगा ना हाथ।।
— प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]