लघुकथा

दिल चाहता है।

पुरुष उत्पीड़न !

दिल चाहता है।
पूनम और रवि की शादी को अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। रवि समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या करे???
पूनम और अपनी ममी में बात-बात पर तकरार को देखकर वो बहुत बार प्यार से ममी को भी समझाता और पूनम को भी .कि छोटी छोटी बातों .को भूलाकर खुश रहो घर का माहौल मत खराब करो…..पापा से भी कहता पापा दिल चाहता है कहीं दूर चला जाऊं कुछ दिनों के लिए। कुछ दिन सब ठीक रहता फिर वही शुरु हो जाता…पूनम को घर का काम नहीं आता था , रवि ममी से कहता ममी आप प्यार से सिखा कर देखो वो धीरे धीरे सीख लेगी पर उन्हें पूनम को बातें भी सुनानी होती थी कि मां ने कुछ सीखाया नहीं है….बगैरह…यहां तक कि वो पूनम की ममी को घर बुलाकर दिखा चुके थे कि देखो क्या सब्जी बनाती है हम ये कैसे खाएं। वहीं पूनम भी हर बात पर जवाब तैयार रखती और पूरा मुकाबला करती जिससे वो और चिड़ जातीं। रवि बीच में फंस गया था वो कैसे समझाता कि उसका दिल चाहता है कि वो पूनम को भी प्यार देऔर ममी को भी खुश रखे पर ये किसी कीमत पर संभव नहीं हो पा रहा था। आखिर एक दिन पूनम गुस्से में घर छोड़ कर चली गई, रवि ने पूनम के घरवालों को भी समझाने की कोशिश कि पर वो चाहते थे कि वो और पूनम अलग घर में रहें पर रवि अपनी ममी का इकलौता बेटा था वो अपनी ममी को भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था।बात अब जिद्द पर आ गई थी पूनम के मन में इतनी नफरत भर गई थी वो प्ररैगनेंट थी पर फिर भी ससुराल नहीं जाना चाहती थी। उसने अपने घरवालों से कह दिया था कि मैं अब ससुराल नहीं जाऊंगी और न ही कभी रवि को तलाक दूंगी मैं उसकी ज़िन्दगी खराब कर दूंगी। पूनम नौकरी करने लगी थी, वहीं रवि परेशान था उसे समझ नहीं आ रहा था क्योंकि न तो ममी उसकी हालत समझ रही थी और न ही पूनम। छोटी छोटी बातें बड़कर अब बड़ी हो गईं थी जो अब घर से बाहर अदालत तक पहुंच गई थी।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |