दर्द दे गया
दर्द दे गया जिन्दगी में वो इस कदर
अब तो बस इस दिल में वीरानगी रह गई।
तेरी बेवफाई के गम के इतने सताये हुये है
कि सारी खुशियाँ धरी की धरी रह गई।
बेबस किया है तेरी जुदाई ने इतना
मेरी आंखों की पोरों पर बस नमी रह गई।
लौटकर आने की जुस्तजु लिये बैठे है
आंख बस दरवाज़े पर ही लगी रह गई।
बीत गया एक अरसा दिदार की हसरत में
बेसबब ये ख्वाहिशें युं ही दबी रह गई ।
उजडे़ दरख्तों पर आयेंगीं फिर रौनकें
इस उम्मीद में कुछ पत्तियां लदी रह गई।
खाली मन की दीवारों पर न आयेंगे नये रंग
दिमाग की सारी कसरतें धरी रह गई।
फाका परस्ती है अब इतनी
पेट पर ये पट्टी बन्धी रह गई ।
अल्पना हर्ष