विज्ञान

अपने वैज्ञानिकों की अद्भुत उपलब्धि

भारतीय अंतरिक्ष मिशन से जुड़े डी.आर.डी.ओ.के मेधावी वैज्ञानिक विरादरी और सम्पूर्ण देश के लिए 27 मार्च 2019 का दिन इतिहास में एक स्वर्णिम दिन के रूप में सदा के लिए अंकित हो गया है । हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा का परचम दुनिया भर में इसलिए भी ज्यादा उज्जवल है क्योंकि ,जो उपलब्धि और सफलता हमारे भारतीय वैज्ञानिक अपने पहले प्रयास में ही प्राप्त कर लेते हैं ,वही उपलब्धि हासिल करने में  दुनिया के अन्य कथित अतिउन्नतिशील और महाशक्ति कहे जाने वाले देशों के वैज्ञानिकों को भी प्राप्त करने से पूर्व अपने पहले के कई-कई प्रयासों में असफलता का मुँह देखना पड़ता है ,मसलन रूसी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अपने 20असफल परीक्षणों के बाद ही अंतरिक्ष स्थित किसी सेटेलाइट को मारने में पहली सफलता फरवरी 1970 में मिली , इसी प्रकार कथित महाबली कहलाने वाले अमेरिकी देश के वैज्ञानिकों को अपने 12 असफल परीक्षणों के बाद ही इस मिशन में पहली सफलता 13 सितम्बर 1985 को जाकर कहीं मिली ।
      हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसी प्रकार का कारनामा अपने चन्द्र और मंगल अभियानों में भी अपने प्रथम प्रयास में और आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम खर्च में ही सफलता के झंडे गाड़ दिए जबकि अमरिकियों ,रूसियों को अपने प्रारम्भिक कई अंतरिक्ष मिशनों में असफलता का सामना करना पड़ा , चीनियों और जापानियों को तो मंगल मिशन में आज तक सफलता ही नहीं मिली है ! उन्हें हारकर मंगल मिशन ही स्थगित करना पड़ा है । दिनांक 27-3-19 के अविश्वमरणीय ऐतिहासिक दिन को भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से अपने पूर्णतया स्वदेश निर्मित एंटी सैटेलाइट मिसाइल से अंतरिक्ष में बंदूक की गोली से भी हजारों गुना तेज गति से घूम रहे अपने एक लाइव स्वदेशी मौसम उपग्रह को अपने पहले ही प्रयास में, मात्र तीन मिनट में ही भेद कर दुनिया को अपने प्रतिभा का परिचय दे दिया । यह कार्य बहुत कठिन होता है ,क्योंकि अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित किसी स्थिर खगोलीय पिंड { जैसे चांद या मंगल } पर अंतरिक्ष यान उतारने से भी यह बहुत चुनौती भरा कार्य है क्योंकि, माइक्रो सेकंड के भी लाखों हिस्से समय की चूक से इसमें असफल होने की संभावना बहुत ज्यादे होती है ।
        आज के अतिउन्नतिशील विश्व में होने वाले भविष्य के युद्धों का निर्धारण जो देश अंतरिक्ष में अपना दबदबा रखेंगे वही जीत हासिल करेंगे ,अभी तक रूस ,अमेरिका और चीन ही अंतरिक्ष में तेजी से घूम रहे सेटेलाइटों को भेदने की क्षमता रखते थे ,चूँकि भारत को रूस और अमेरिका से राष्ट्रीय सुरक्षा को उतना खतरा नहीं है ,जितना खतरा पड़ोसी चीन की इस ताकत से सम्पन्न होना है क्योंकि अंतरिक्ष में घूम रहे हमारे 102 सेटेलाइटों को चीनियों से बहुत खतरा था ,अब चीन हमारे सेटेलाइटों को छेड़ने से पूर्व सौ बार सोचेगा क्योंकि , भारत अब उसके किसी भी गलत हरकत को मात्र कुछ मिनटों में ही करारा जबाब देने में अब सक्षम हो गया है । वैसे हमारे सभी मिशन चाहे परमाणु बम बनाने का हो या इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल बनाने के हों ,सभी आत्म रक्षार्थ ही होते हैं ,किसी को अनावश्यक डराने-धमकाने के लिए नहीं !
       इस बड़ी और आश्चर्यजनक उपलब्धि दिलाने वाले देश के वैज्ञानिक विरादरी से सम्पूर्ण देश की जनता की एक विनम्र विनती है कि वे अब ऐसी व्यवस्था और शोध पर अपना ध्यान केन्द्रित करें कि भारत जैसे गरीब देश की सेना को छोटे-छोटे हथियारों के लिए भी दुनिया के छोटे-छोटे देशों पर निर्भर न रहना पड़े और हम स्वदेश में ही इतने उन्नति शील और आधुनिकतम् हथियारों को बनाने में सक्षम हो जायें कि अपनी सेना को तो उनसे लैस करें ही ,उन हथियारों को दुनियाभर में बेचकर अमूल्य विदेशी मुद्रा को प्राप्त करने में भी सक्षम हों ,ताकि इस गरीब देश की अमूल्य अरबों-खरबों रूपये की मुद्रा की बचत हो और उसका उपयोग इस देश की मूलभूत समस्याओं यथा भूख ,गरीबी ,बेरोजगारी ,शिक्षा ,स्वास्थ्य आदि समस्याओं के समाधान करने में हो ।
— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]