गीतिका/ग़ज़ल

गजल

वक्त ये कटता नही इन्तजार का।

खत तेरा आता नही इकरार का।।
बस ख्यालों में तेरे यूं ही डूबी रहूं।
अहसास होता रहे तेरे प्यार का।।
तेरे मेरे बीच कोई आने न पाये।
न हो फैसला कभी जीत हार का।।
तन्हाई में तू मेरे साथ रहे हरपल।
मजा लेती रहूं मैं तेरे दीदार का।।
दौर चलता रहे पीने पिलाने का।
समा बनता रहे मौजे बहार का।।
खुश्बू आती रहे तेरे पास से इत्र की।
शुकूं मिलता रहे मुझे मेरे करार का।।
हुई शाम देखो अब सुहानी सनम।
क्या कहनें चांद तारो के संसार का।।
प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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