गज़ल
जो आवाम को पसंद हो वो बात करोगे
मुफलिस की, तवंगर की मुदारात करोगे
अच्छे से अब तो हम भी जानते हैं नेता जी
तुम वोट के लिए जो करामात करोगे
रंग बदलने का हुनर इतना है तुम में
गिरगिट को भी आसानी से तुम मात करोगे
इक बार कुर्सी मिलने की ही देर है ज़रा
सितम तुम गरीबों पे दिन – रात करोगे
चुनाव खत्म होते ही हो जाओगे यूँ गुम
कि पांच साल बाद मुलाकात करोगे
— भरत मल्होत्रा