कविता

शब्द-बाण

मैं लाख जतन कर लू
फिर भी…
निर्मम लोगों के
विषैले शब्द-बाण,
कहीं ना कहीं
इस मासूम हृदय को
आहत कर ही देते है.
उनके जहरीले बाणों का
प्रत्युत्तर देने में असक्षम,
जैसे-तैसे हृदय को थामकर,
हरदम बचाती रहती हूँ
बस ढाल बनकर…
✍🏻नीतू शर्मा©

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]