शब्द-बाण
मैं लाख जतन कर लू
फिर भी…
निर्मम लोगों के
विषैले शब्द-बाण,
कहीं ना कहीं
इस मासूम हृदय को
आहत कर ही देते है.
उनके जहरीले बाणों का
प्रत्युत्तर देने में असक्षम,
जैसे-तैसे हृदय को थामकर,
हरदम बचाती रहती हूँ
बस ढाल बनकर…
✍🏻नीतू शर्मा©