सबको आता है सुकूँ…
सबको आता है सुकूँ आग क्यों लगाने में।
है बुरी बात यही एक, बस ज़माने में।।
अभी तो शिरकतें महफिलों में सीखी हैं।
लगेगा वक्त अभी, यार उठ के जाने में।।
जीने मरने की तरह फर्क मुझे लगता है।
पास आने में तेरे, दूर तेरे जाने में।।
कैसा उलझा हुआ आजकल वो दिखता है।
वक्त लगता है उसे, याद तलक आने में।।
यही अच्छा था, मैं हर बार झुका करता था।
बात बिगड़ी सी हुई, देखने दिखाने में।।