परिभाषा बेटियों की
बेटियों को परिभाषित करना
है नहीं आसान,
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
नीले आकाश से उतरी परी होती
हैं बेटियाँ,
ब्रह्ममुहूर्त के मंत्र सी होती है बेटियाँ ।
सृजनकर्ता बन जीव को देती है
जहान,
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
धरती सी रत्न गर्भा होती हैं बेटियाँ,
प्रकृति को अपनी कोख में संजोती हैं बेटियाँ।
सपनों के पंख लगा बनाती हैं विहान,
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
माँ गंगा का उज्जवल रूप होती हैं बेटियाँ,
निर्मल-पवित्र-पावन होती हैं बेटियाँ।
हर समस्या का धैर्य से करती हैं समाधान,
संसार की हर वस्तु से बेटियां हैं। महान।
सागार सी विस्तृत-शांत होती हैं बेटियाँ,
असीम अनंत गहराई लिए होती हैं बेटियाँ।
खारे जल का भी करती हैं कुछ प्रावधान
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
सुक्ष्म झरोखों की शीतल बयार होती हैं बेटियाँ
हृदय कलश का अमृत लुटाती हैं बेटियाँ।
छू न सके कभी अहंकार अभिमान,
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
काली, दुर्गा, लक्ष्मी सी होती हैं बेटियाँ,
मकान को मंदिर सा बनाती हैं बेटियाँ।
हर लेती हैं हर किसी का कलुष अज्ञान,
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
रामायण, गीता सी पुनीत होती हैं बेटियाँ,
कर्मयोग का सिद्धांत होती हैं बेटियाँ।
पवित्र पुस्तक के अक्षर बन देती हैं ज्ञान
संसार की हर वस्तु से बेटियाँ हैं महान।
— निशा नंदिनी
तिनसुकिया,असम