स्ट्रेस
आज एक समाचार पढ़ा-
”मुंबई की 11 साल की बच्ची महिका मिश्रा ने शोर कम करने का आइडिया दिया, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर इसे शेयर किया
बच्ची ने आनंद महिंद्रा को आइडिया दिया कि वो अपनी कंपनी की कारों में ऐसा हॉर्न लगाएं, जिसे 10 मिनट में सिर्फ 5 बार बजाया जा सके. हर बार हॉर्न बजाने में 3 सैकंड का गैप भी होना चाहिए. इससे शोर कम होगा और सड़कों पर शांति हो जाएगी.”
11 साल की इस बच्ची के आइडिया ने सीधे ध्वनि-प्रदूषण पर महज प्रहार ही नहीं किया, समाधान भी दे दिया. काश यह अहम बात हमारी समझ में आए! ध्वनि-प्रदूषण ने न केवल हमारे कानों की क्षमता पर असर डाला है, हमारे मन-मस्तिष्क के स्ट्रेस को इस हद तक बढ़ा दिया है, कि हर दूसरा व्यक्ति तनाव या अवसाद से जूझ रहा है.
मनुष्य ही क्यों जीव-जंतु भी इससे बरी नहीं हैं. एक समाचार के अनुसार-
‘होटेल में लगे साउंड सिस्टम की तेज आवाज के कारण गई दुर्लभ मगरमच्छ की जान.’
”दुर्लभ मगरमच्छ की जान क्यों और कैसे गई?” हमारे मन में सहज जिज्ञासा थी.
”तमिलनाडु के एक प्रसिद्ध होटेल में लगे साउंड सिस्टम के कारण यहां जू में संरक्षित एक मगरमच्छ की जान चली गई. होटेल में देर रात तक चली पार्टी और यहां लगे साउंड सिस्टम के वाइब्रेशन के कारण स्ट्रेस से मगरमच्छ की मौत हो गई.” जू के अधिकारियों से बात करने पर पता चला.
”साउंड सिस्टम के वाइब्रेशन के कारण मगरमच्छ को इतना स्ट्रेस हुआ, कि उसकी मौत हो गई? ऐसा कैसे संभव हुआ?” हमारी जिज्ञास जस की तस थी.
”होटेल और जू के बीच की कुल दूरी 50 फीट से भी कम है. वहीं जिस साउंड सिस्टम के कारण जिस मगरमच्छ की जान गई, उसे जू और होटेल के बीच एक दीवार के पास रखा गया था. साउंड सिस्टम की आवाज और इससे निकल रहे वाइब्रेशन के कारण जू में संरक्षित 12 दुर्लभ वर्षीय मादा मगरमच्छ की मौत हो गई.”
11 साल की बच्ची जग गई है और स्ट्रेस दूर करने के प्रयास में लग गई है. हम कैसे स्ट्रेस से बचेंगे और कैसे दूसरे लोगों को स्ट्रेस से बचाएंगे?
आज से नवरात्रि पर्व शुरु हो रहा है, आज ही चेती चांद भी है और नव संवत 2076 भी शुरु हो रहा है-
इन ब्लॉग्स को भी पढ़ें-
नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं
मैय्या भजनमाला
आदरणीय दीदी, सादर प्रणाम. स्ट्रेस – एक ज़बरदस्त कथानक – शोर नामक फिल्म इसका बेहतरीन उदाहरण रही. स्वतंत्रता का इतना वीभत्स रूप देखने को मिलेगा यह सोचा नहीं था. बेशर्मी और बेहूदगी की सभी हदें पार हो जाती हैं जब साइलेंस जोन लिखा होने के बावजूद भी लोग तेज़ हॉर्न बजाते हुए निकल जाते हैं, चाहे स्कूल हो या हॉस्पिटल, गली मोहल्लों में होने वाले जागरण इतनी तेज़ ध्वनि का प्रयोग करते हैं कि पड़ोस में कोई बीमार भी हो सकता है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं, विद्यार्थी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे होंगे, उनकी बला से, अफसोसनाक तो यह है जब वही लोग दूसरों को कोसते नज़र आते हैं और अपना वक़्त भूल जाते हैं. कावंड़िये जब जल लेकर आते हैं तो वाहनों पर किसी भी समय भयंकर आवाज़ों में गाने सुनाते हुए जाते हैं, दिन हो या रात. जितने प्रकार के हॉर्न हमारे यहाँ विकसित होते हैं या विदेशों से आते हैं हमारे पथभ्रष्ट नौजवान मोटरसाइकिल्स और कारों में लगाकर ज़ोर से बजाकर शेखी बघारते हैं, गाड़ियों में गाने सुनने हैं तो सुनिए, पर खिड़कियां खोल कर फुल वॉल्यूम पर चला कर क्या दिखाना चाहते हैं, यही कि उनसे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है. अनेक बार इन शोरों में जीवन रक्षक एम्बुलेंस और अग्नि शमन गाड़ियों की आवाज़ें भी खो जाती हैं. कुछ सिरफिरे तो अपने गाड़ियों में एम्बुलेंस सरीखे हॉर्न लगवा लेते हैं और धोखा देते हुए चलते हैं. पैसे से यहाँ कुछ भी ख़रीदा जा सकता है. बेहतरीन रचना. समाज पर चोट करती और जगाने वाली रचना के लिए हार्दिक आभार.
प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, ध्वनि-प्रदूषण के बारे में आपने बहुत बेबाकी से अपनी राय रखी है. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अनेक बार इन शोरों में जीवन रक्षक एम्बुलेंस और अग्नि शमन गाड़ियों की आवाज़ें भी खो जाती हैं. कुछ सिरफिरे तो अपने गाड़ियों में एम्बुलेंस सरीखे हॉर्न लगवा लेते हैं और धोखा देते हुए चलते हैं. पैसे से यहाँ कुछ भी ख़रीदा जा सकता है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
जय माता दी
आज से नवरात्रि पर्व शुरु हो रहा है, आज ही चेती चांद भी है और नव संवत 2076 भी शुरु हो रहा है. देश-विदेश के मंदिरों में आज से भजन-कीर्तन का कार्यक्रम चलेगा. हम ध्यान रखें कि हमारे भजन-कीर्तन की तेज वाइब्रेशन के कारण किसी को भी असुविधा न हो. अपने और दूसरों के कानों की सुरक्षा का ध्यान रखें. बच्चों, बूढ़ों और रोगियों को वाइब्रेशन के कारण होने वाले स्ट्रेस से बचाएं. जय माता दी