हाँ मैं भी चौकीदार हूँ
देशद्रोह की आवाजों का मैं पहला प्रतिकार हूँ
कायर आतंकी सीने पर अभिनंदन सा वार हूँ
अगर देश पर खतरा हो मर मिटने को तैयार हूँ
सीना ठोक के कहता हूं हाँ मैं भी चौकीदार हूँ
डटे हुए हैं सीमाओं पर जो सपूत सीना ताने
लक्ष्य परम् वैभव है जिनका बाधाएँ वो क्या जाने
माटी की रक्षा को माटी में मिल जाते दीवाने
जिनके शौर्य गढ़ा करते हैं राष्ट्र प्रेम के पैमाने
सजा हूँ मैं स्वागत में उनके हाँ मैं बन्दनवार हूँ
जो किसान पीड़ा पी पी कर खुशियाँ रोपा करता है
जिसका खून पसीना बंजर में हरियाली भरता है
शीत तपन बिजली बरखा में जो ना विपल ठहरता है
जिस किसान के पौरुष से धरती का रूप निखरता है
मैं भी पुष्प सुवासित उससे हाँ उसका अधिकार हूँ
अपनी प्रतिभा के बल पर मंगल तक जाने की ठानी
घोर असुविधाओं के सम्मुख जिनने हार नहीं मानी
देश प्रथम है जिनकी ख़ातिर जो कलाम-से अभिमानी
जिनने जग में मान बढ़ाया पूज्य है हर वो विज्ञानी
उन दृढ़ संकल्पों से पोषित मैं सपना साकार हूँ