गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – औरतें

ज़िंदगी  के  दायरे  में  उलझतीं  औरतें।
आँखों में ग़म का अश्क़ रखतीं औरतें।।

अठखेलियों   में  वो   बचपन  बितायी।
ज़वानी में ज़माने को खटकतीं औरतें।।

समर्पण ही  उनकी  कोशिश रही।
पति  का  गुलाम़  बनतीं  औरतें।।

बुढ़ापे   की   जाल   में   रह   गयीं।
ज़वाँ  बेटों की ताने सुनतीं औरतें।।

मर कर जीना सिखलाए ‘ गब्दीवाला ‘।
ज़िंदा  लाश़  की तरह  लगतीं औरतें।।

टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.