मुक्तक/दोहा

तुम्हारी याद

आज फिर वही उदासी छाई है
तुम्हारी परछांई भी कहीं नज़र नहीं आई है

कहीं कहीं से कुछ खुश्बू आती है
जो तुम्हारी याद दिलाती है

उदास बैठा हूँ तुम्हारी याद में
अपने दोस्त की तलाश में

कुछ पहर का ही तो साथ होता है
उस में भी न मिलो तो दिल उदास होता है

मेरा अस्तित्व तुम्हारे लिए कुछ नहीं
पर तुम्हारे सिवा मेरा अस्तित्व नहीं

रवि प्रभात

पुणे में एक आईटी कम्पनी में तकनीकी प्रमुख. Visit my site