सामाजिक

राजधानी एक्सप्रेस में प्रदूषित खाना खाने से रेलयात्रियों की हालत खराब !

आज के कई समाचार पत्रों में रेलवे द्वारा चलाई जाने वाली कथित अतिविशिष्ठ कही जाने वाली नई दिल्ली से भुवनेश्वर जाने वाली ‘राजधानी एक्सप्रेस ‘में इतना घटिया खाना दिया गया कि वह प्रदूषित खाना खाकर पाँच डिब्बों के लगभग 56 रेलयात्री फूड प्वाइजनिंग के शिकार हो गये ! यह खाना वे नई दिल्ली से इस ट्रेन के प्रस्थान के बाद लगभग 8 और 9 बजे के बीच खाये होंगे । समाचार पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार इस ट्रेन में 900 लोगों का खाना वितरित किया गया था ,जिसमें 600 लोगों को नॉनवेज {मांसाहारी } खाना परोसा गया था ,जिसमें 400 लोग यह प्रदूषित चिकेन वाली थाली खाये थे , जानकारी के अनुसार यही चिकेन प्रदूषित था ,जिससे लोगों को उल्टी-दस्त { फूडप्वायजनिंग } रात्रि में ही होनी शुरू हो गई थी ।
चूँकि लोगों की तबियत रात्रि में ही खराब होनी शुरु हो गई थी ,इसलिए इसकी शिकायत रेलयात्रियों ने रेलवे को रात में ही करना शुरू कर दिया था ,अतः प्रातः लगभग सवा पाँच बजे ही इस ट्रेन के कोडरमा पहुँचने पर डॉक्टरों की टीम बीमार यात्रियों की ईलाज के लिए पहुँच चुकी थी । आगे के लगभग सभी स्टेशनों पर डॉक्टरों की टीम बीमार यात्रियों की ईलाज करती गई । कितने दुख और अफ़सोस की बात है कि हमारे देश में भोजन ,पानी और अन्य लगभग सभी खाद्य वस्तुओं की जाँच करके स्वास्थ्यवर्धक खाने की सुनिश्चिंतता और सुविधा अभी तक देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस जैसी वीवीआइपी ट्रेन के यात्रियों तक को नहीं है ! इससे सहज ही कल्पना की जा सकती है कि भारतीय रेलवे द्वारा देश के दूरदराज क्षेत्रों में संचालित हजारों अन्य ट्रेनों में साधारण रेलयात्रियों की भोजन की गुणवत्ता की क्या दशा होगी ! चूँकि ये नई दिल्ली से अतिविशिष्ट लोगों के लिए चलने वाली पूर्णतः वातानुकूलित ट्रेन है ,इसलिए इस प्रदूषित खाना खाकर रेलयात्रियों के बीमार होने की खबर कुछ राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हो गया , अन्यथा दूरदराज़ इलाकों में इस प्रकार की घटना का कहीं जिक्र तक भी नहीं होता होगा ! माना कि भारत की आबादी बहुत ज्यादे है और भारतीय रेल का नेटवर्क दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है ,परन्तु क्या रेलवे खानपान व्यवस्था करने वाली संस्था आई.आर.सी.टी.सी. अपने भोजन को रेलयात्रियों को परोसने से पूर्व उसकी गुणवत्ता को परखने का तंत्र अभी तक विकसित नहीं कर पायी है ? अगर नहीं ,तो यह भारतीय रेलयात्रियों और भारतीय रेलवे के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है !
         सबसे बड़ी दुखद स्थिति यह है कि केवल रेलवे ही नहीं हम भारतीय लोग हर तरह से प्रदूषित वातावरण में रहने और प्रायः खाने-पीने की हर चीज में मिलावट ,प्रदूषित और नकली चीजें खाने और पीने को अभिषापित हैं ,चाहे हवा हो ,पानी हो ,अनाज हो ,तेल हो ,मावा हो ,मसाले हों, दूध हो { ज्ञातव्य है समूचा उत्तर भारत यूरिया और डिटर्जेट आदि से बने नकली दूध या ऑक्सीटोसिन नामक प्राणघातक इंजेक्शन लगा दूध पीने को मजबूर है } ,यही इंजेक्शन सब्जियों में लगाकर बाजारों में खुलेआम बिकती है ! सबसे दुःख की बात यह है कि यह ऑक्सीटोसिन दवा प्रतिबंधित है परन्तु ब्लैक मार्केट से ,जितना चाहें ,जब चाहें खरीद सकते हैं ।
        भारतीय रेलवे के घटिया और प्रदूषित खाने तथा उसके खाना बनाने की किचन की गंदगी के बारे में पूर्व में भी कई बार शिकायतें हुईं हैं  ,हर बार रेलवे विभाग की तरफ से भविष्य में खाने की गुणवत्ता से समझौता न करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है ! क्या पूर्व में भी कभी रेलयात्रियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले दोषियों को आजतक कभी एक छोटी सी भी सजा आज तक हुई है ? अगर नहीं तो क्यों ? अभी इस घटना के दोषियों को भी कोई सजा होगी ? कोई नहीं जानता ! हर बार की तरह जाँच कमेटी बैठेगी , वह जाँच कमेटी लाखों रूपये स्वयं पर खर्च करेगी , उस पर लीपा-पोती करेगी और फिर वही गंदा और प्रदूषित खाना रेलयात्रियों को परोसा जायेगा , उसी की पुनरावृत्ति होती रहेगी ! लोग बीमार होते रहेंगे ! यही हम भारतीयों की नियति बन गई है ! क्या इसमें कभी सुधार की गुंजाइश है ?
निर्मल कुमार शर्मा ,गाजियाबाद ,8-4-19

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]